apashisht padaartho ke strot kya hai- उपयोग के बाद अनावश्यक, बेकार व् परित्यक्त Padaartho को Apashisht waste कहते है। अपशिस्ट पदार्थो में उन सभी उच्चिष्ठ पदार्थो को सम्मिलत किया गया है जो घरो, गाँवो, शहरो व नगरों या उद्योगों में बेकार व् अनुपयोगी पदार्थ के रूप में प्राप्त होते है ।
और जिनको हटाया जाना जनस्वास्थ्य व पर्यावरण की सुरक्षा के दृश्टिकोण से आवश्यक हो जाता है।
आज के युग में बढ़ती हुई जनसँख्या और विकसित होती औद्योगिग व्यवस्था के बहुत से ऋणात्मक पहलू है उनमे से एक है अपशिस्ट। मनुष्य अपने दैनिक जीवन में बहुत से वस्तुवो का उपयोग क्र उन्हें फेक देते है। यही अपशिष्ट होते है।
सामन्यतः अपशिष्ट या तो द्रव होते है,जैसे नहाने धोने के पश्चात जल, उतसर्जित पदार्थ इत्यादि, या ठोस जैसे कचरा,बचा हुवा भोजन, उपयोग के उपरांत कागज इत्यादि समस्या वर्तमान इन अपशिष्टो का निस्तारण उचित रूप इससे वातावरण प्रदूषित हो हटा है और हमें विभिन्न प्रकार के रोगो का भय बना रहता है। वर्तमान में इन अपशिष्टो के निस्तारण के लिए जागृति आई है और इसके निस्तारण का उचित प्रबंध किया गया है।
इन अपशिष्ट पदार्थो को हटाया जाना तो अति आवशयक है साथ साथ इनका यथोचित निस्तारण भी आवश्यक होता है। यह कार्य पंचायतो, नगर पालिकाओं व नगर परिस्दों का होता है। अपशिष्ट पदार्थ गन्दगी व दुर्गन्ध फैलाने के साथ साथ रोगजनक कीटाणुओं के प्रसार का कारण भी होते है।
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apashisht padaartho ke strot kya hai |
apashisht padaartho ke strot kya hai | अपशिष्ट पदार्थो की उत्पति इन स्रोतों से होती है-
- घरेलू या आवासीय क्षेत्र
- औघोगिक एवं व्यवसाहिक क्षेत्र उद्योग
- कृषि
- महानगर
- मानव व पशु
1. घरेलू या आवासीय क्षेत्र - Domestic or residential area
घरेलू अपशिष्ट की मात्रा उपभोक्ताओ की संख्या व उनकी आदतों पर निर्भर करती है। जैसे उपभोक्ता संपन्न है और उसकी संख्या अधिक है तो वे अधिक घरेलू अपशिष्टपदार्थ प्रदान करते है। इसके विपरी निर्धन व काम जनसंख्या वाले क्षेत्रो से कम घरेलू अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते है।
इसी प्रकार विकसित देशो में प्रयोग करो व् फेको संस्कृति के कारण ठोस अपशिष्ट पदार्थ बनता है। इसके विपरीत अविलसित व विकासशील देशो में संरक्षणवादी संस्कृति के कारण ढोस अपशिष्ट पदार्थ के अंतर्गत कागज के टुकड़े,सागसब्जी के अवशेष, प्लास्टिक के टुकड़े,सीसे की बोतले इत्यादि आती है। सामान्यतः घरेलु अपशिष्ट पदार्थो को सार्वजानिक या निजी क्षेत्रो में फेका जाता है।
2. औघोगिक एवं व्यवसाहिक क्षेत्र उद्योग - Industrial and business field industries
औघोगिक इकाइयों से अनेक प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ यथा चीनी उद्धयोग से उत्पन्न खोई,लोह छीलन,तेल शोधन शालावो के अपशिष्ट, तंबावा एलम्यूमिनियम कारखानों के अपशिष्ट इत्यादि निकलते है।
चीनी मिलो के पास खोई का ऊंचा टीला बन जाता है। जो वर्षा ऋतू में सड़कर दुर्गन्ध पदा करता है। इसी प्रकार तांबा व अल्यूमिनियम उद्योग के अपशिष्ट मिटटी में प्रदूषण पैदा करते है।
3. कृषि - Agriculture
इसके अंतर्गत कृषि उपजो के डंठल, भूसे, चारे, खोई , गोबर इत्यादि आते है। विकासशील व अविकसित देशो में इनका विविध रूप में उपयोग क्र लिया जाता है। जैसे गोबर का उपला बनाकर जल जलवन के रूप में, भूसे को चारे के रूप में व् खोई को जलावन के रूप में प्रयोग किया जाता है। लेकिन विकसित देशो में इनका कोई उपयोग न होने के कारण उनका कठिन समस्या है।
4. महानगर - Metropolitan
तीव्र नगरीकरण के कारण महानगरों में जनसंख्या वृद्धि के साथ साथ ठोस अपशिष्ट पदार्थो की भी मात्रा बढ़ती जा रही है जिनका निपटान महापालिकाओं के लिए एक समस्या है। इसके अंतर्गत रद्दी कागज,प्लाष्टि के सामान,बोतल कनस्तर,टूटे शीशे, स्वचालित वाहनों के पहिय व् लोहा लक्कड़, साग सब्जी के छिलके, कूड़ा करकट,कचरे, मृत चूहे,कुत्ते,बिल्ली , गदहे, इत्यादि आते है।
प्रतिदन लन्दन महानगर में 8000 टन कचरा तथा नूयार्क महानगर में 25000 टन अपशिष्ट पदार्थो का अम्बर लगता है जिनका प्रबंधन अति कठिन कार्य है।
5. मानव व पशु - Humans and animals
इसके अंतर्गत मानव व पशुओ के मल मूत्र,मृत चूहे कुत्ते, बिल्ली,इत्यादि बुचड़खाने के अपशिष्ट यथा अस्थि पंजर इत्यादि आते है। मानव मॉल मूत्र को गड्ढो में डाला जाता है। जससे भूमिगत जल प्रदूषित होता है,जहा खुले स्थानों पर शौच किया जाता है। वहा की मिटटी भी प्रदूषित हो जाता है।
पशुवो का गोबर का उपलि कण्डा बना कर ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है लेकिन ऐसा न किये जाने पर गोबर वर्षाकाल में सक्कर वायु प्रदुषण पैदा करता है।
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